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وَلَقَدْ صَدَقَكُمُ اللّٰهُ وَعْدَهٗٓ اِذْ تَحُسُّوْنَهُمْ بِاِذْنِهٖ ۚ حَتّٰىٓ اِذَا فَشِلْتُمْ وَتَنَازَعْتُمْ فِى الْاَمْرِ وَعَصَيْتُمْ مِّنْۢ بَعْدِ مَآ اَرٰىكُمْ مَّا تُحِبُّوْنَ ۗ مِنْكُمْ مَّنْ يُّرِيْدُ الدُّنْيَا وَمِنْكُمْ مَّنْ يُّرِيْدُ الْاٰخِرَةَ ۚ ثُمَّ صَرَفَكُمْ عَنْهُمْ لِيَبْتَلِيَكُمْ ۚ وَلَقَدْ عَفَا عَنْكُمْ ۗ وَاللّٰهُ ذُوْ فَضْلٍ عَلَى الْمُؤْمِنِيْنَ   ( آل عمران: ١٥٢ )

And certainly
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
fulfilled to you
صَدَقَكُمُ
सच्चा कर दिखाया तुमसे
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
His promise
وَعْدَهُۥٓ
वादा अपना
when
إِذْ
जब
you were killing them
تَحُسُّونَهُم
तुम क़त्ल कर रहे थे उन्हें
by His permission
بِإِذْنِهِۦۖ
उसके इज़्न से
until
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
when
إِذَا
जब
you lost courage
فَشِلْتُمْ
बुज़दिली दिखाई तुमने
and you fell into dispute
وَتَنَٰزَعْتُمْ
और झगड़ा किया तुमने
concerning
فِى
हुक्म के बारे में (रसूल के)
the order
ٱلْأَمْرِ
हुक्म के बारे में (रसूल के)
and you disobeyed
وَعَصَيْتُم
और नाफ़रमानी की तुमने
from
مِّنۢ
बाद उसके
after
بَعْدِ
बाद उसके
[what]
مَآ
जो
He (had) shown you
أَرَىٰكُم
उसने दिखाया तुम्हें
what
مَّا
वो जो
you love
تُحِبُّونَۚ
तुम पसंद करते हो
Among you
مِنكُم
तुम में से कोई है
(are some) who
مَّن
जो
desire
يُرِيدُ
चाहता है
the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया को
and among you
وَمِنكُم
और तुम में से कोई है
(are some) who
مَّن
जो
desire
يُرِيدُ
चाहता है
the Hereafter
ٱلْءَاخِرَةَۚ
आख़िरत को
Then
ثُمَّ
फिर
He diverted you
صَرَفَكُمْ
उसने फेर दिया तुम्हें
from them
عَنْهُمْ
उनसे
so that He may test you
لِيَبْتَلِيَكُمْۖ
ताकि वो आज़माए तुम्हें
And surely
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
He forgave
عَفَا
उसने दरगुज़र किया
you
عَنكُمْۗ
तुमसे
And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
(is the) Possessor
ذُو
फ़ज़ल वाला है
(of) Bounty
فَضْلٍ
फ़ज़ल वाला है
for
عَلَى
मोमिनों पर
the believers
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों पर

Walaqad sadaqakumu Allahu wa'dahu ith tahussoonahum biithnihi hatta itha fashiltum watanaza'tum fee alamri wa'asaytum min ba'di ma arakum ma tuhibboona minkum man yureedu alddunya waminkum man yureedu alakhirata thumma sarafakum 'anhum liyabtaliyakum walaqad 'afa 'ankum waAllahu thoo fadlin 'ala almumineena (ʾĀl ʿImrān 3:152)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और अल्लाह ने तो तुम्हें अपना वादा सच्चा कर दिखाया, जबकि तुम उसकी अनुज्ञा से उन्हें क़त्ल कर रहे थे। यहाँ तक कि जब तुम स्वयं ढीले पड़ गए और काम में झगड़ा डाल दिया और अवज्ञा की, जबकि अल्लाह ने तुम्हें वह चीज़ दिखा दी थी जिसकी तुम्हें चाह थी। तुममें कुछ लोग दुनिया चाहते थे और कुछ आख़िरत के इच्छुक थे। फिर अल्लाह ने तुम्हें उनके मुक़ाबले से हटा दिया, ताकि वह तुम्हारी परीक्षा ले। फिर भी उसने तुम्हें क्षमा कर दिया, क्योंकि अल्लाह ईमानवालों के लिए बड़ा अनुग्राही है

English Sahih:

And Allah had certainly fulfilled His promise to you when you were killing them [i.e., the enemy] by His permission until [the time] when you lost courage and fell to disputing about the order [given by the Prophet (^)] and disobeyed after He had shown you that which you love. Among you are some who desire this world, and among you are some who desire the Hereafter. Then He turned you back from them [defeated] that He might test you. And He has already forgiven you, and Allah is the possessor of bounty for the believers. ([3] Ali 'Imran : 152)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

बेशक खुदा ने (जंगे औहद में भी) अपना (फतेह का) वायदा सच्चा कर दिखाया था जब तुम उसके हुक्म से (पहले ही हमले में) उन (कुफ्फ़ार) को खूब क़त्ल कर रहे थे यहॉ तक की तुम्हारे पसन्द की चीज़ (फ़तेह) तुम्हें दिखा दी उसके बाद भी तुमने (माले ग़नीमत देखकर) बुज़दिलापन किया और हुक्में रसूल (मोर्चे पर जमे रहने) झगड़ा किया और रसूल की नाफ़रमानी की तुममें से कुछ तो तालिबे दुनिया हैं (कि माले ग़नीमत की तरफ़) से झुक पड़े और कुछ तालिबे आख़िरत (कि रसूल पर अपनी जान फ़िदा कर दी) फिर (बुज़दिलेपन ने) तुम्हें उन (कुफ्फ़ार) की की तरफ से फेर दिया (और तुम भाग खड़े हुए) उससे ख़ुदा को तुम्हारा (ईमान अख़लासी) आज़माना मंज़ूर था और (उसपर भी) ख़ुदा ने तुमसे दरगुज़र की और खुदा मोमिनीन पर बड़ा फ़ज़ल करने वाला है