وَكَاَيِّنْ مِّنْ نَّبِيٍّ قَاتَلَۙ مَعَهٗ رِبِّيُّوْنَ كَثِيْرٌۚ فَمَا وَهَنُوْا لِمَآ اَصَابَهُمْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَمَا ضَعُفُوْا وَمَا اسْتَكَانُوْا ۗ وَاللّٰهُ يُحِبُّ الصّٰبِرِيْنَ ( آل عمران: ١٤٦ )
Wakaayyin min nabiyyin qatala ma'ahu ribbiyyoona katheerun fama wahanoo lima asabahum fee sabeeli Allahi wama da'ufoo wama istakanoo waAllahu yuhibbu alssabireena (ʾĀl ʿImrān 3:146)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कितने ही नबी ऐसे गुज़रे है जिनके साथ होकर बहुत-से ईशभक्तों ने युद्ध किया, तो अल्लाह के मार्ग में जो मुसीबत उन्हें पहुँची उससे वे न तो हताश हुए और न उन्होंने कमज़ोरी दिखाई और न ऐसा हुआ कि वे दबे हो। और अल्लाह दृढ़तापूर्वक जमे रहनेवालों से प्रेम करता है
English Sahih:
And how many a prophet [fought in battle and] with him fought many religious scholars. But they never lost assurance due to what afflicted them in the cause of Allah, nor did they weaken or submit. And Allah loves the steadfast. ([3] Ali 'Imran : 146)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (मुसलमानों तुम ही नहीं) ऐसे पैग़म्बर बहुत से गुज़र चुके हैं जिनके साथ बहुतेरे अल्लाह वालों ने (राहे खुदा में) जेहाद किया और फिर उनको ख़ुदा की राह में जो मुसीबत पड़ी है न तो उन्होंने हिम्मत हारी न बोदापन किया (और न दुशमन के सामने) गिड़गिड़ाने लगे और साबित क़दम रहने वालों से ख़ुदा उलफ़त रखता है