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اِذْ هَمَّتْ طَّۤاىِٕفَتٰنِ مِنْكُمْ اَنْ تَفْشَلَاۙ وَاللّٰهُ وَلِيُّهُمَا ۗ وَعَلَى اللّٰهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ  ( آل عمران: ١٢٢ )

When
إِذْ
जब
inclined
هَمَّت
इरादा किया
two parties
طَّآئِفَتَانِ
दो गिरोहों ने
among you
مِنكُمْ
तुम में से
that
أَن
कि
they lost heart
تَفْشَلَا
वो दोनों बुज़दिली दिखाऐं
but Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
(was) their protector
وَلِيُّهُمَاۗ
मददगार था उन दोनों का
And on
وَعَلَى
और अल्लाह ही पर
Allah
ٱللَّهِ
और अल्लाह ही पर
let put (their) trust
فَلْيَتَوَكَّلِ
पस चाहिए कि तवक्कल करें
the believers
ٱلْمُؤْمِنُونَ
ईमान वाले

Ith hammat taifatani minkum an tafshala waAllahu waliyyuhuma wa'ala Allahi falyatawakkali almuminoona (ʾĀl ʿImrān 3:122)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जब तुम्हारे दो गिरोहों ने साहस छोड़ देना चाहा, जबकि अल्लाह उनका संरक्षक मौजूद था - और ईमानवालों को तो अल्लाह ही पर भरोसा करना चाहिए

English Sahih:

When two parties among you were about to lose courage, but Allah was their ally; and upon Allah the believers should rely. ([3] Ali 'Imran : 122)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ये उस वक्त क़ा वाक़या है जब तुममें से दो गिरोहों ने ठान लिया था कि पसपाई करें और फिर (सॅभल गए) क्योंकि ख़ुदा तो उनका सरपरस्त था और मोमिनीन को ख़ुदा ही पर भरोसा रखना चाहिये