۞ لَيْسُوْا سَوَاۤءً ۗ مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ اُمَّةٌ قَاۤىِٕمَةٌ يَّتْلُوْنَ اٰيٰتِ اللّٰهِ اٰنَاۤءَ الَّيْلِ وَهُمْ يَسْجُدُوْنَ ( آل عمران: ١١٣ )
They are not
لَيْسُوا۟
नहीं हैं वो सब
(the) same
سَوَآءًۗ
यकसाँ/बराबर
among
مِّنْ
अहले किताब में से
(the) People
أَهْلِ
अहले किताब में से
(of) the Book
ٱلْكِتَٰبِ
अहले किताब में से
(is) a community
أُمَّةٌ
एक जमाअत है
standing
قَآئِمَةٌ
जो क़ायम (हक़ पर)
(and) reciting
يَتْلُونَ
वो तिलावत करते हैं
(the) Verses
ءَايَٰتِ
अल्लाह की आयात की
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की आयात की
(in the) hours
ءَانَآءَ
घड़ियों में
(of) the night
ٱلَّيْلِ
रात की
and they
وَهُمْ
और वो
prostrate
يَسْجُدُونَ
वो सजदा करते हैं
Laysoo sawaan min ahli alkitabi ommatun qaimatun yatloona ayati Allahi anaa allayli wahum yasjudoona (ʾĀl ʿImrān 3:113)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ये सब एक जैसे नहीं है। किताबवालों में से कुछ ऐसे लोग भी है जो सीधे मार्ग पर है और रात की घड़ियों में अल्लाह की आयतें पढ़ते है और वे सजदा करते रहनेवाले है
English Sahih:
They are not [all] the same; among the People of the Scripture is a community standing [in obedience], reciting the verses of Allah during periods of the night and prostrating [in prayer]. ([3] Ali 'Imran : 113)