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كُنْتُمْ خَيْرَ اُمَّةٍ اُخْرِجَتْ لِلنَّاسِ تَأْمُرُوْنَ بِالْمَعْرُوْفِ وَتَنْهَوْنَ عَنِ الْمُنْكَرِ وَتُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ ۗ وَلَوْ اٰمَنَ اَهْلُ الْكِتٰبِ لَكَانَ خَيْرًا لَّهُمْ ۗ مِنْهُمُ الْمُؤْمِنُوْنَ وَاَكْثَرُهُمُ الْفٰسِقُوْنَ   ( آل عمران: ١١٠ )

You are
كُنتُمْ
हो तुम
(the) best
خَيْرَ
बेहतरीन
(of) people
أُمَّةٍ
उम्मत
raised
أُخْرِجَتْ
निकाली गई हो
for the mankind -
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
enjoining
تَأْمُرُونَ
तुम हुक्म देते हो
the right
بِٱلْمَعْرُوفِ
मारूफ़/अच्छाई का
and forbidding
وَتَنْهَوْنَ
और तुम रोकते हो
[from]
عَنِ
मुन्कर/बुराई से
the wrong
ٱلْمُنكَرِ
मुन्कर/बुराई से
and believing
وَتُؤْمِنُونَ
और तुम ईमान लाते हो
in Allah
بِٱللَّهِۗ
अल्लाह पर
And if
وَلَوْ
और अगर
believed
ءَامَنَ
ईमान लाते
(the) People
أَهْلُ
अहले किताब
(of) the Book
ٱلْكِتَٰبِ
अहले किताब
surely would have been
لَكَانَ
अलबत्ता होता
good
خَيْرًا
बेहतर
for them
لَّهُمۚ
उनके लिए
Among them
مِّنْهُمُ
बाज़ उनके
(are) the believers
ٱلْمُؤْمِنُونَ
मोमिन हैं
but most of them
وَأَكْثَرُهُمُ
और अक्सर उनके
(are) defiantly disobedient
ٱلْفَٰسِقُونَ
फ़ासिक़ है

Kuntum khayra ommatin okhrijat lilnnasi tamuroona bialma'roofi watanhawna 'ani almunkari watuminoona biAllahi walaw amana ahlu alkitabi lakana khayran lahum minhumu almuminoona waaktharuhumu alfasiqoona (ʾĀl ʿImrān 3:110)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

तुम एक उत्तम समुदाय हो, जो लोगों के समक्ष लाया गया है। तुम नेकी का हुक्म देते हो और बुराई से रोकते हो और अल्लाह पर ईमान रखते हो। और यदि किताबवाले भी ईमान लाते तो उनके लिए यह अच्छा होता। उनमें ईमानवाले भी हैं, किन्तु उनमें अधिकतर लोग अवज्ञाकारी ही हैं

English Sahih:

You are the best nation produced [as an example] for mankind. You enjoin what is right and forbid what is wrong and believe in Allah. If only the People of the Scripture had believed, it would have been better for them. Among them are believers, but most of them are defiantly disobedient. ([3] Ali 'Imran : 110)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तुम क्या अच्छे गिरोह हो कि (लोगों की) हिदायत के वास्ते पैदा किये गए हो तुम (लोगों को) अच्छे काम का हुक्म करते हो और बुरे कामों से रोकते हो और ख़ुदा पर ईमान रखते हो और अगर अहले किताब भी (इसी तरह) ईमान लाते तो उनके हक़ में बहुत अच्छा होता उनमें से कुछ ही तो ईमानदार हैं और अक्सर बदकार