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وَلْتَكُنْ مِّنْكُمْ اُمَّةٌ يَّدْعُوْنَ اِلَى الْخَيْرِ وَيَأْمُرُوْنَ بِالْمَعْرُوْفِ وَيَنْهَوْنَ عَنِ الْمُنْكَرِ ۗ وَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ   ( آل عمران: ١٠٤ )

And let there be
وَلْتَكُن
और ज़रूर हो
among you
مِّنكُمْ
तुम में से
[a] people
أُمَّةٌ
एक गिरोह (के लोग)
inviting
يَدْعُونَ
जो दावत दें
to
إِلَى
तरफ़ ख़ैर के
the good
ٱلْخَيْرِ
तरफ़ ख़ैर के
[and] enjoining
وَيَأْمُرُونَ
और जो हुक्म दें
the right
بِٱلْمَعْرُوفِ
नेकी का
and forbidding
وَيَنْهَوْنَ
और जो रोकें
from
عَنِ
बुराई से
the wrong
ٱلْمُنكَرِۚ
बुराई से
and those -
وَأُو۟لَٰٓئِكَ
और यही लोग हैं
they
هُمُ
वो
(are) the successful ones
ٱلْمُفْلِحُونَ
जो फ़लाह पाने वाले हैं

Waltakun minkum ommatun yad'oona ila alkhayri wayamuroona bialma'roofi wayanhawna 'ani almunkari waolaika humu almuflihoona (ʾĀl ʿImrān 3:104)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और तुम्हें एक ऐसे समुदाय का रूप धारण कर लेना चाहिए जो नेकी की ओर बुलाए और भलाई का आदेश दे और बुराई से रोके। यही सफलता प्राप्त करनेवाले लोग है

English Sahih:

And let there be [arising] from you a nation inviting to [all that is] good, enjoining what is right and forbidding what is wrong, and those will be the successful. ([3] Ali 'Imran : 104)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और तुमसे एक गिरोह ऐसे (लोगों का भी) तो होना चाहिये जो (लोगों को) नेकी की तरफ़ बुलाए अच्छे काम का हुक्म दे और बुरे कामों से रोके और ऐसे ही लोग (आख़ेरत में) अपनी दिली मुरादें पायेंगे