فَكُلًّا اَخَذْنَا بِذَنْۢبِهٖۙ فَمِنْهُمْ مَّنْ اَرْسَلْنَا عَلَيْهِ حَاصِبًا ۚوَمِنْهُمْ مَّنْ اَخَذَتْهُ الصَّيْحَةُ ۚوَمِنْهُمْ مَّنْ خَسَفْنَا بِهِ الْاَرْضَۚ وَمِنْهُمْ مَّنْ اَغْرَقْنَاۚ وَمَا كَانَ اللّٰهُ لِيَظْلِمَهُمْ وَلٰكِنْ كَانُوْٓا اَنْفُسَهُمْ يَظْلِمُوْنَ ( العنكبوت: ٤٠ )
Fakullan akhathna bithanbihi faminhum man arsalna 'alayhi hasiban waminhum man akhathathu alssayhatu waminhum man khasafna bihi alarda waminhum man aghraqna wama kana Allahu liyathlimahum walakin kanoo anfusahum yathlimoona (al-ʿAnkabūt 29:40)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अन्ततः हमने हरेक को उसके अपने गुनाह के कारण पकड़ लिया। फिर उनमें से कुछ पर तो हमने पथराव करनेवाली वायु भेजी और उनमें से कुछ को एक प्रचंड चीत्कार न आ लिया। और उनमें से कुछ को हमने धरती में धँसा दिया। और उनमें से कुछ को हमने डूबो दिया। अल्लाह तो ऐसा न था कि उनपर ज़ुल्म करता, किन्तु वे स्वयं अपने आपपर ज़ुल्म कर रहे थे
English Sahih:
So each We seized for his sin; and among them were those upon whom We sent a storm of stones, and among them were those who were seized by the blast [from the sky], and among them were those whom We caused the earth to swallow, and among them were those whom We drowned. And Allah would not have wronged them, but it was they who were wronging themselves. ([29] Al-'Ankabut : 40)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
तो हमने सबको उनके गुनाह की सज़ा में ले डाला चुनांन्चे उनमे से बाज़ तो वह थे जिन पर हमने पत्थर वाली ऑंधी भेजी और बाज़ उनमें से वह थे जिन को एक सख्त चिंघाड़ ने ले डाला और बाज़ उनमें से वह थे जिनको हमने ज़मीन मे धॅसा दिया और बाज़ उनमें से वह थे जिन्हें हमने डुबो मारा और ये बात नहीं कि ख़ुदा ने उन पर ज़ुल्म किया हो बल्कि (सच युं है कि) ये लोग ख़ुद (ख़ुदा की नाफ़रमानी करके) आप अपने ऊपर ज़ुल्म करते रहे