۞ فَاٰمَنَ لَهٗ لُوْطٌۘ وَقَالَ اِنِّيْ مُهَاجِرٌ اِلٰى رَبِّيْ ۗاِنَّهٗ هُوَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ( العنكبوت: ٢٦ )
And believed
فَـَٔامَنَ
तो ईमान लाया
[in] him
لَهُۥ
उस पर
Lut
لُوطٌۘ
लूत
and he said
وَقَالَ
और उसने कहा
"Indeed I (am)
إِنِّى
बेशक
emigrating
مُهَاجِرٌ
हिजरत करने वाला हूँ
to
إِلَىٰ
तरफ़ अपने रब के
my Lord
رَبِّىٓۖ
तरफ़ अपने रब के
Indeed He
إِنَّهُۥ
बेशक वो
[He] (is)
هُوَ
वो ही है
the All-Mighty
ٱلْعَزِيزُ
बहुत ज़बरदस्त
the All-Wise"
ٱلْحَكِيمُ
ख़ूब हिकमत वाला है
Faamana lahu lootun waqala innee muhajirun ila rabbee innahu huwa al'azeezu alhakeemu (al-ʿAnkabūt 29:26)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर लूत ने उसकी बात मानी औऱ उसने कहा, 'निस्संदेह मैं अपने रब की ओर हिजरत करता हूँ। निस्संदेह वह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।'
English Sahih:
And Lot believed him. [Abraham] said, "Indeed, I will emigrate to [the service of] my Lord. Indeed, He is the Exalted in Might, the Wise." ([29] Al-'Ankabut : 26)