وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِاٰيٰتِ اللّٰهِ وَلِقَاۤىِٕهٖٓ اُولٰۤىِٕكَ يَىِٕسُوْا مِنْ رَّحْمَتِيْ وَاُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ( العنكبوت: ٢٣ )
And those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
in (the) Signs
بِـَٔايَٰتِ
अल्लाह की आयात का
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की आयात का
and (the) meeting (with) Him
وَلِقَآئِهِۦٓ
और उसकी मुलाक़ात का
those
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
(have) despaired
يَئِسُوا۟
जो मायूस हो गए
of
مِن
मेरी रहमत से
My Mercy
رَّحْمَتِى
मेरी रहमत से
And those
وَأُو۟لَٰٓئِكَ
और यही लग हैं
for them
لَهُمْ
उनके लिए
(is) a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब है
painful
أَلِيمٌ
दर्दनाक
Waallatheena kafaroo biayati Allahi waliqaihi olaika yaisoo min rahmatee waolaika lahum 'athabun aleemun (al-ʿAnkabūt 29:23)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जिन लोगों ने अल्लाह की आयतों और उससे मिलने का इनकार किया, वही लोग है जो मेरी दयालुता से निराश हुए और वही है जिनके लिए दुखद यातना है। -
English Sahih:
And the ones who disbelieve in the signs of Allah and the meeting with Him – those have despaired of My mercy, and they will have a painful punishment. ([29] Al-'Ankabut : 23)