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وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا نُوْحًا اِلٰى قَوْمِهٖ فَلَبِثَ فِيْهِمْ اَلْفَ سَنَةٍ اِلَّا خَمْسِيْنَ عَامًا ۗفَاَخَذَهُمُ الطُّوْفَانُ وَهُمْ ظٰلِمُوْنَ   ( العنكبوت: ١٤ )

And verily
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
We sent
أَرْسَلْنَا
भेजा हमने
Nuh
نُوحًا
नूह को
to
إِلَىٰ
तरफ़ उसकी क़ौम के
his people
قَوْمِهِۦ
तरफ़ उसकी क़ौम के
and he remained
فَلَبِثَ
तो वो रहा
among them
فِيهِمْ
उनमें
a thousand
أَلْفَ
एक हज़ार
year(s)
سَنَةٍ
साल
save
إِلَّا
मगर
fifty
خَمْسِينَ
पचास
year(s)
عَامًا
साल (कम)
then seized them
فَأَخَذَهُمُ
तो पकड़ लिया उन्हें
the flood
ٱلطُّوفَانُ
तूफ़ान ने
while they
وَهُمْ
जबकि वे
(were) wrongdoers
ظَٰلِمُونَ
ज़ालिम थे

Walaqad arsalna noohan ila qawmihi falabitha feehim alfa sanatin illa khamseena 'aman faakhathahumu alttoofanu wahum thalimoona (al-ʿAnkabūt 29:14)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

हमने नूह को उसकी क़ौम की ओर भेजा। और वह पचास साल कम एक हजार वर्ष उनके बीच रहा। अन्ततः उनको तूफ़ान ने इस दशा में आ पकड़ा कि वे अत्याचारी था

English Sahih:

And We certainly sent Noah to his people, and he remained among them a thousand years minus fifty years, and the flood seized them while they were wrongdoers. ([29] Al-'Ankabut : 14)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और हमने नूह को उनकी क़ौम के पास (पैग़म्बर बनाकर) भेजा तो वह उनमें पचास कम हज़ार बरस रहे (और हिदायत किया किए और जब न माना) तो आख़िर तूफान ने उन्हें ले डाला और वह उस वक्त भी सरकश ही थे