وَلَا يَصُدُّنَّكَ عَنْ اٰيٰتِ اللّٰهِ بَعْدَ اِذْ اُنْزِلَتْ اِلَيْكَ وَادْعُ اِلٰى رَبِّكَ وَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُشْرِكِيْنَ ۚ ( القصص: ٨٧ )
And (let) not
وَلَا
और ना
avert you
يَصُدُّنَّكَ
वो हरगिज़ रोकें आपको
from
عَنْ
आयात से
(the) Verses
ءَايَٰتِ
आयात से
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की
after
بَعْدَ
बाद इसके कि
[when]
إِذْ
जब
they have been revealed
أُنزِلَتْ
वो नाज़िल की गईं
to you
إِلَيْكَۖ
आपकी तरफ़
And invite (people)
وَٱدْعُ
और दावत दीजिए
to
إِلَىٰ
अपने रब की तरफ़
your Lord
رَبِّكَۖ
अपने रब की तरफ़
And (do) not
وَلَا
और हरगिज़ ना हों आप
be
تَكُونَنَّ
और हरगिज़ ना हों आप
of
مِنَ
मुशरिकों में से
the polytheists
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकों में से
Wala yasuddunnaka 'an ayati Allahi ba'da ith onzilat ilayka waod'u ila rabbika wala takoonanna mina almushrikeena (al-Q̈aṣaṣ 28:87)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और वे तुम्हें अल्लाह की आयतों से रोक न पाएँ, इसके पश्चात कि वे तुमपर अवतरित हो चुकी है। और अपने रब की ओर बुलाओ और बहुदेववादियों में कदापि सम्मिलित न होना
English Sahih:
And never let them avert you from the verses of Allah after they have been revealed to you. And invite [people] to your Lord. And never be of those who associate others with Allah. ([28] Al-Qasas : 87)