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وَقَالَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ وَيْلَكُمْ ثَوَابُ اللّٰهِ خَيْرٌ لِّمَنْ اٰمَنَ وَعَمِلَ صَالِحًا ۚوَلَا يُلَقّٰىهَآ اِلَّا الصّٰبِرُوْنَ   ( القصص: ٨٠ )

But said
وَقَالَ
और कहा
those who
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
were given
أُوتُوا۟
दिए गए थे
the knowledge
ٱلْعِلْمَ
इल्म
"Woe to you!
وَيْلَكُمْ
अफ़सोस तुम पर
(The) reward
ثَوَابُ
सवाब
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह का
(is) better
خَيْرٌ
बेहतर है
for (he) who
لِّمَنْ
उसके लिए जो
believes
ءَامَنَ
ईमान लाया
and does
وَعَمِلَ
और उसने अमल किया
righteous (deeds)
صَٰلِحًا
नेक
And not
وَلَا
और नहीं
it is granted
يُلَقَّىٰهَآ
पा सकते उसे
except
إِلَّا
मगर
(to) the patient ones"
ٱلصَّٰبِرُونَ
सब्र करने वाले

Waqala allatheena ootoo al'ilma waylakum thawabu Allahi khayrun liman amana wa'amila salihan wala yulaqqaha illa alssabiroona (al-Q̈aṣaṣ 28:80)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

किन्तु जिनको ज्ञान प्राप्त था, उन्होंने कहा, 'अफ़सोस तुमपर! अल्लाह का प्रतिदान उत्तम है, उस व्यक्ति के लिए जो ईमान लाए और अच्छा कर्म करे, और यह बात उन्हीम के दिलों में पड़ती है जो धैर्यवान होते है।'

English Sahih:

But those who had been given knowledge said, "Woe to you! The reward of Allah is better for he who believes and does righteousness. And none are granted it except the patient." ([28] Al-Qasas : 80)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जिन लोगों को (हमारी बारगाह में) इल्म अता हुआ था कहनें लगे तुम्हारा नास हो जाए (अरे) जो शख्स ईमान लाए और अच्छे काम करे उसके लिए तो ख़ुदा का सवाब इससे कही बेहतर है और वह तो अब सब्र करने वालों के सिवा दूसरे नहीं पा सकते