فَخَرَجَ عَلٰى قَوْمِهٖ فِيْ زِيْنَتِهٖ ۗقَالَ الَّذِيْنَ يُرِيْدُوْنَ الْحَيٰوةَ الدُّنْيَا يٰلَيْتَ لَنَا مِثْلَ مَآ اُوْتِيَ قَارُوْنُۙ اِنَّهٗ لَذُوْ حَظٍّ عَظِيْمٍ ( القصص: ٧٩ )
Fakharaja 'ala qawmihi fee zeenatihi qala allatheena yureedoona alhayata alddunya ya layta lana mithla ma ootiya qaroonu innahu lathoo haththin 'atheemin (al-Q̈aṣaṣ 28:79)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर वह अपनी क़ौम के सामने अपने ठाठ-बाट में निकला। जो लोग सांसारिक जीवन के चाहनेवाले थे, उन्होंने कहा, 'क्या ही अच्छा होता जैसा कुछ क़ारून को मिला है, हमें भी मिला होता! वह तो बड़ा ही भाग्यशाली है।'
English Sahih:
So he came out before his people in his adornment. Those who desired the worldly life said, "Oh, would that we had like what was given to Qarun. Indeed, he is one of great fortune." ([28] Al-Qasas : 79)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ग़रज़ (एक दिन क़ारुन) अपनी क़ौम के सामने बड़ी आराइश और ठाठ के साथ निकला तो जो लोग दुनिया को (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी के तालिब थे (इस शान से देख कर) कहने लगे जो माल व दौलत क़ारुन को अता हुई है काश मेरे लिए भी होती इसमें शक नहीं कि क़ारुन बड़ा नसीब वर था