Skip to main content

۞ اِنَّ قَارُوْنَ كَانَ مِنْ قَوْمِ مُوْسٰى فَبَغٰى عَلَيْهِمْ ۖوَاٰتَيْنٰهُ مِنَ الْكُنُوْزِ مَآ اِنَّ مَفَاتِحَهٗ لَتَنُوْۤاُ بِالْعُصْبَةِ اُولِى الْقُوَّةِ اِذْ قَالَ لَهٗ قَوْمُهٗ لَا تَفْرَحْ اِنَّ اللّٰهَ لَا يُحِبُّ الْفَرِحِيْنَ   ( القصص: ٧٦ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
Qarun
قَٰرُونَ
क़ारून
was
كَانَ
था वो
from
مِن
क़ौम से
(the) people
قَوْمِ
क़ौम से
(of) Musa
مُوسَىٰ
मूसा की
but he oppressed
فَبَغَىٰ
तो उसने सरकशी की
[on] them
عَلَيْهِمْۖ
उन पर
And We gave him
وَءَاتَيْنَٰهُ
और अता किया हमने उसे
of
مِنَ
ख़ज़ानों में से
the treasures
ٱلْكُنُوزِ
ख़ज़ानों में से
which
مَآ
इस क़द्र कि
indeed
إِنَّ
बेशक
(the) keys of it
مَفَاتِحَهُۥ
कुंजियाँ उसकी
would burden
لَتَنُوٓأُ
अलबत्ता वो भारी होती थीं
a company (of men)
بِٱلْعُصْبَةِ
एक जमात पर
possessors of great strength
أُو۟لِى
क़ुव्वत वाली
possessors of great strength
ٱلْقُوَّةِ
क़ुव्वत वाली
When
إِذْ
जब
said
قَالَ
कहा
to him
لَهُۥ
उसे
his people
قَوْمُهُۥ
उसकी क़ौम ने
"(Do) not
لَا
ना तुम इतराओ
exult
تَفْرَحْۖ
ना तुम इतराओ
Indeed
إِنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
(does) not
لَا
नहीं वो पसंद करता
love
يُحِبُّ
नहीं वो पसंद करता
the exultant
ٱلْفَرِحِينَ
इतराने वालों को

Inna qaroona kana min qawmi moosa fabagha 'alayhim waataynahu mina alkunoozi ma inna mafatihahu latanooo bial'usbati olee alquwwati ith qala lahu qawmuhu la tafrah inna Allaha la yuhibbu alfariheena (al-Q̈aṣaṣ 28:76)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

निश्चय ही क़ारून मूसा की क़ौम में से था, फिर उसने उनके विरुद्ध सिर उठाया और हमने उसे इतने ख़जाने दे रखें थे कि उनकी कुंजियाँ एक बलशाली दल को भारी पड़ती थी। जब उससे उसकी क़ौम के लोगों ने कहा, 'इतरा मत, अल्लाह इतरानेवालों के पसन्द नही करता

English Sahih:

Indeed, Qarun was from the people of Moses, but he tyrannized them. And We gave him of treasures whose keys would burden a band of strong men; thereupon his people said to him, "Do not exult. Indeed, Allah does not like the exultant. ([28] Al-Qasas : 76)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(नाशुक्री का एक क़िस्सा सुनो) मूसा की क़ौम से एक शख्स कारुन (नामी) था तो उसने उन पर सरकशी शुरु की और हमने उसको इस क़दर ख़ज़ाने अता किए थे कि उनकी कुन्जियाँ एक सकतदार जमाअत (की जामअत) को उठाना दूभर हो जाता था जब (एक बार) उसकी क़ौम ने उससे कहा कि (अपनी दौलत पर) इतरा मत क्योंकि ख़ुदा इतराने वालों को दोस्त नहीं रखता