وَمِنْ رَّحْمَتِهٖ جَعَلَ لَكُمُ الَّيْلَ وَالنَّهَارَ لِتَسْكُنُوْا فِيْهِ وَلِتَبْتَغُوْا مِنْ فَضْلِهٖ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ( القصص: ٧٣ )
And from
وَمِن
और उसकी रहमत में से है
His Mercy
رَّحْمَتِهِۦ
और उसकी रहमत में से है
He made
جَعَلَ
कि उसने बनाया
for you
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
the night
ٱلَّيْلَ
रात
and the day
وَٱلنَّهَارَ
और दिन को
that you may rest
لِتَسْكُنُوا۟
ताकि तुम सुकून पाओ
therein
فِيهِ
उसमें
and that you may seek
وَلِتَبْتَغُوا۟
और ताकि तुम तलाश करो
from
مِن
उसके फ़ज़ल में से
His Bounty
فَضْلِهِۦ
उसके फ़ज़ल में से
and so that you may
وَلَعَلَّكُمْ
और ताकि तुम
be grateful
تَشْكُرُونَ
तुम शुक्र अदा करो
Wamin rahmatihi ja'ala lakumu allayla waalnnahara litaskunoo feehi walitabtaghoo min fadlihi wala'allakum tashkuroona (al-Q̈aṣaṣ 28:73)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उसने अपनी दयालुता से तुम्हारे लिए रात और दिन बनाए, ताकि तुम उसमें (रात में) आराम पाओ और ताकि तुम (दिन में) उसका अनुग्रह (रोज़ी) तलाश करो और ताकि तुम कृतज्ञता दिखाओ।'
English Sahih:
And out of His mercy He made for you the night and the day that you may rest therein and [by day] seek from His bounty and [that] perhaps you will be grateful. ([28] Al-Qasas : 73)