وَقَالُوْٓا اِنْ نَّتَّبِعِ الْهُدٰى مَعَكَ نُتَخَطَّفْ مِنْ اَرْضِنَاۗ اَوَلَمْ نُمَكِّنْ لَّهُمْ حَرَمًا اٰمِنًا يُّجْبٰٓى اِلَيْهِ ثَمَرٰتُ كُلِّ شَيْءٍ رِّزْقًا مِّنْ لَّدُنَّا وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ ( القصص: ٥٧ )
Waqaloo in nattabi'i alhuda ma'aka nutakhattaf min ardina awalam numakkin lahum haraman aminan yujba ilayhi thamaratu kulli shayin rizqan min ladunna walakinna aktharahum la ya'lamoona (al-Q̈aṣaṣ 28:57)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वे कहते है, 'यदि हम तुम्हारे साथ इस मार्गदर्शन का अनुसरण करें तो अपने भू-भाग से उचक लिए जाएँगे।' क्या ख़तरों से सुरक्षित हरम में हमने ठिकाना नहीं दिया, जिसकी ओर हमारी ओर से रोज़ी के रूप में हर चीज़ की पैदावार खिंची चली आती है? किन्तु उनमें से अधिकतर जानते नहीं
English Sahih:
And they [i.e., the Quraysh] say, "If we were to follow the guidance with you, we would be swept from our land." Have We not established for them a safe sanctuary to which are brought the fruits of all things as provision from Us? But most of them do not know. ([28] Al-Qasas : 57)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) कुफ्फ़ार (मक्का) तुमसे कहते हैं कि अगर हम तुम्हारे साथ दीन हक़ की पैरवी करें तो हम अपने मुल्क़ से उचक लिए जाएँ (ये क्या बकते है) क्या हमने उन्हें हरम (मक्का) में जहाँ हर तरह का अमन है जगह नहीं दी वहाँ हर किस्म के फल रोज़ी के वास्ते हमारी बारगाह से खिंचे चले जाते हैं मगर बहुतेरे लोग नहीं जाते