اِنَّ فِرْعَوْنَ عَلَا فِى الْاَرْضِ وَجَعَلَ اَهْلَهَا شِيَعًا يَّسْتَضْعِفُ طَاۤىِٕفَةً مِّنْهُمْ يُذَبِّحُ اَبْنَاۤءَهُمْ وَيَسْتَحْيٖ نِسَاۤءَهُمْ ۗاِنَّهٗ كَانَ مِنَ الْمُفْسِدِيْنَ ( القصص: ٤ )
Inna fir'awna 'ala fee alardi waja'ala ahlaha shiya'an yastad'ifu taifatan minhum yuthabbihu abnaahum wayastahyee nisaahum innahu kana mina almufsideena (al-Q̈aṣaṣ 28:4)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
निस्संदेह फ़िरऔन ने धरती में सरकशी की और उसके निवासियों को विभिन्न गिरोहों में विभक्त कर दिया। उनमें से एक गिरोह को कमज़ोर कर रखा था। वह उनके बेटों की हत्या करता और उनकी स्त्रियों को जीवित रहने देता। निश्चय ही वह बिगाड़ पैदा करनेवालों में से था
English Sahih:
Indeed, Pharaoh exalted himself in the land and made its people into factions, oppressing a sector among them, slaughtering their [newborn] sons and keeping their females alive. Indeed, he was of the corrupters. ([28] Al-Qasas : 4)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
बेशक फिरऔन ने (मिस्र की) सरज़मीन में बहुत सर उठाया था और उसने वहाँ के रहने वालों को कई गिरोह कर दिया था उनमें से एक गिरोह (बनी इसराइल) को आजिज़ कर रखा थ कि उनके बेटों को ज़बाह करवा देता था और उनकी औरतों (बेटियों) को ज़िन्दा छोड़ देता था बेशक वह भी मुफ़सिदों में था