فَجَاۤءَتْهُ اِحْدٰىهُمَا تَمْشِيْ عَلَى اسْتِحْيَاۤءٍ ۖقَالَتْ اِنَّ اَبِيْ يَدْعُوْكَ لِيَجْزِيَكَ اَجْرَ مَا سَقَيْتَ لَنَاۗ فَلَمَّا جَاۤءَهٗ وَقَصَّ عَلَيْهِ الْقَصَصَۙ قَالَ لَا تَخَفْۗ نَجَوْتَ مِنَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِيْنَ ( القصص: ٢٥ )
Fajaathu ihdahuma tamshee 'ala istihyain qalat inna abee yad'ooka liyajziyaka ajra ma saqayta lana falamma jaahu waqassa 'alayhi alqasasa qala la takhaf najawta mina alqawmi alththalimeena (al-Q̈aṣaṣ 28:25)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर उन दोनों में से एक लजाती हुई उसके पास आई। उसने कहा, 'मेरे बाप आपको बुला रहे है, ताकि आपने हमारे लिए (जानवरों को) जो पानी पिलाया है, उसका बदला आपको दें।' फिर जब वह उसके पास पहुँचा और उसे अपने सारे वृत्तान्त सुनाए तो उसने कहा, 'कुछ भय न करो। तुम ज़ालिम लोगों से छुटकारा पा गए हो।'
English Sahih:
Then one of the two women came to him walking with shyness. She said, "Indeed, my father invites you that he may reward you for having watered for us." So when he came to him and related to him the story, he said, "Fear not. You have escaped from the wrongdoing people." ([28] Al-Qasas : 25)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
इतने में उन्हीं दो मे से एक औरत शर्मीली चाल से आयी (और मूसा से) कहने लगी-मेरे वालिद तुम को बुलाते हैं ताकि तुमने जो (हमारी बकरियों को) पानी पिला दिया है तुम्हें उसकी मज़दूरी दे ग़रज़ जब मूसा उनके पास आए और उनसे अपने किस्से बयान किए तो उन्होंने कहा अब कुछ अन्देशा न करो तुमने ज़ालिम लोगों के हाथ से नजात पायी