فَسَقٰى لَهُمَا ثُمَّ تَوَلّٰىٓ اِلَى الظِّلِّ فَقَالَ رَبِّ اِنِّيْ لِمَآ اَنْزَلْتَ اِلَيَّ مِنْ خَيْرٍ فَقِيْرٌ ( القصص: ٢٤ )
So he watered
فَسَقَىٰ
तो उसने पानी पिलाया
for them
لَهُمَا
उन दोनों के लिए
Then
ثُمَّ
फिर
he turned back
تَوَلَّىٰٓ
वो पलट गया
to
إِلَى
तरफ़ साय के
the shade
ٱلظِّلِّ
तरफ़ साय के
and said
فَقَالَ
फिर वो कहने लगा
"My Lord!
رَبِّ
ऐ मेरे रब
Indeed I am
إِنِّى
बेशक मैं
of whatever
لِمَآ
उसके लिए जो
You send
أَنزَلْتَ
नाज़िल करे तू
to me
إِلَىَّ
मेरी तरफ़
of
مِنْ
भलाई में से
good
خَيْرٍ
भलाई में से
(in) need"
فَقِيرٌ
मोहताज हूँ
Fasaqa lahuma thumma tawalla ila alththilli faqala rabbi innee lima anzalta ilayya min khayrin faqeerun (al-Q̈aṣaṣ 28:24)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तब उसने उन दोनों के लिए पानी पिला दिया। फिर छाया की ओर पलट गया और कहा, 'ऐ मेरे रब, जो भलाई भी तू मेरी उतार दे, मैं उसका ज़रूरतमंद हूँ।'
English Sahih:
So he watered [their flocks] for them; then he went back to the shade and said, "My Lord, indeed I am, for whatever good You would send down to me, in need." ([28] Al-Qasas : 24)