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وَاَنْ اَتْلُوَا الْقُرْاٰنَ ۚفَمَنِ اهْتَدٰى فَاِنَّمَا يَهْتَدِيْ لِنَفْسِهٖۚ وَمَنْ ضَلَّ فَقُلْ اِنَّمَآ اَنَا۠ مِنَ الْمُنْذِرِيْنَ   ( النمل: ٩٢ )

And that
وَأَنْ
और ये कि
I recite
أَتْلُوَا۟
मैं तिलावत करूँ
the Quran"
ٱلْقُرْءَانَۖ
क़ुरान की
And whoever
فَمَنِ
तो जो कोई
accepts guidance
ٱهْتَدَىٰ
हिदायत पा गया
then only
فَإِنَّمَا
तो बेशक
he accepts guidance
يَهْتَدِى
वो हिदायत पाएगा
for himself;
لِنَفْسِهِۦۖ
अपने नफ़्स के लिए
and whoever
وَمَن
और जो कोई
goes astray
ضَلَّ
भटका
then say
فَقُلْ
तो कह दीजिए
"Only
إِنَّمَآ
बेशक
I am
أَنَا۠
मैं तो
of
مِنَ
डराने वालों में से हूँ
the warners"
ٱلْمُنذِرِينَ
डराने वालों में से हूँ

Waan atluwa alqurana famani ihtada fainnama yahtadee linafsihi waman dalla faqul innama ana mina almunthireena (an-Naml 27:92)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और यह कि क़ुरआन पढ़कर सुनाऊँ। अब जिस किसी ने संमार्ग ग्रहण किया वह अपने ही लिए संमार्ग ग्रहण करेगा। और जो पथभ्रष्टि रहा तो कह दो, 'मैं तो बस एक सचेत करनेवाला ही हूँ।'

English Sahih:

And to recite the Quran." And whoever is guided is only guided for [the benefit of] himself; and whoever strays – say, "I am only [one] of the warners." ([27] An-Naml : 92)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और ये कि मै क़ुरान पढ़ा करुँ फिर जो शख्स राह पर आया तो अपनी ज़ात के नफे क़े वास्ते राह पर आया और जो गुमराह हुआ तो तुम कह दो कि मै भी एक एक डराने वाला हूँ