وَيَوْمَ يُنْفَخُ فِى الصُّوْرِ فَفَزِعَ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَمَنْ فِى الْاَرْضِ اِلَّا مَنْ شَاۤءَ اللّٰهُ ۗوَكُلٌّ اَتَوْهُ دَاخِرِيْنَ ( النمل: ٨٧ )
Wayawma yunfakhu fee alssoori fafazi'a man fee alssamawati waman fee alardi illa man shaa Allahu wakullun atawhu dakhireena (an-Naml 27:87)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और ख़याल करो जिस दिन सूर (नरसिंघा) में फूँक मारी जाएगी और जो आकाशों और धरती में है, घबरा उठेंगे, सिवाय उनके जिन्हें अल्लाह चाहे - और सब कान दबाए उसके समक्ष उपस्थित हो जाएँगे
English Sahih:
And [warn of] the Day the Horn will be blown, and whoever is in the heavens and whoever is on the earth will be terrified except whom Allah wills. And all will come to Him humbled. ([27] An-Naml : 87)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (उस दिन याद करो) जिस दिन सूर फूँका जाएगा तो जितने लोग आसमानों मे हैं और जितने लोग ज़मीन में हैं (ग़रज़ सब के सब) दहल जाएंगें मगर जिस शख्स को ख़ुदा चाहे (वो अलबत्ता मुतमइन रहेगा) और सब लोग उसकी बारगाह में ज़िल्लत व आजिज़ी की हालत में हाज़िर होगें