وَمَآ اَنْتَ بِهٰدِى الْعُمْيِ عَنْ ضَلٰلَتِهِمْۗ اِنْ تُسْمِعُ اِلَّا مَنْ يُّؤْمِنُ بِاٰيٰتِنَا فَهُمْ مُّسْلِمُوْنَ ( النمل: ٨١ )
And not
وَمَآ
और नहीं
(can) you
أَنتَ
आप
guide
بِهَٰدِى
हिदायत देने वाले
the blind
ٱلْعُمْىِ
अँधों को
from
عَن
उनकी गुमराही से
their error
ضَلَٰلَتِهِمْۖ
उनकी गुमराही से
Not
إِن
नहीं
you can cause to hear
تُسْمِعُ
आप सुना सकते
except
إِلَّا
मगर
(those) who
مَن
उनको जो
believe
يُؤْمِنُ
ईमान लाते हैं
in Our Signs
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात पर
so they
فَهُم
फिर वो
(are) Muslims
مُّسْلِمُونَ
फ़रमाबरदार हैं
Wama anta bihadee al'umyi 'an dalalatihim in tusmi'u illa man yuminu biayatina fahum muslimoona (an-Naml 27:81)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और न तुम अंधों को उनकी गुमराही से हटाकर राह पर ला सकते हो। तुम तो बस उन्हीं को सुना सकते हो, जो हमारी आयतों पर ईमान लाना चाहें। अतः वही आज्ञाकारी होते है
English Sahih:
And you cannot guide the blind away from their error. You will only make hear those who believe in Our verses so they are Muslims [i.e., submitting to Allah]. ([27] An-Naml : 81)