فَتِلْكَ بُيُوْتُهُمْ خَاوِيَةً ۢبِمَا ظَلَمُوْاۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً لِّقَوْمٍ يَّعْلَمُوْنَ ( النمل: ٥٢ )
So these
فَتِلْكَ
तो ये
(are) their houses
بُيُوتُهُمْ
उनके घर हैं
ruined
خَاوِيَةًۢ
गिरे हुए
because
بِمَا
बवजह उसके जो
they wronged
ظَلَمُوٓا۟ۗ
उन्होंने ज़ुल्म किया
Indeed
إِنَّ
यक़ीनन
in
فِى
इसमें
that
ذَٰلِكَ
इसमें
surely is a sign
لَءَايَةً
अलबत्ता एक निशानी है
for a people
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
who know
يَعْلَمُونَ
जो इल्म रखते हैं
Fatilka buyootuhum khawiyatan bima thalamoo inna fee thalika laayatan liqawmin ya'lamoona (an-Naml 27:52)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अब ये उनके घर उनके ज़ुल्म के कारण उजडें पड़े हुए है। निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है उन लोगों के लिए जो जानना चाहें
English Sahih:
So those are their houses, desolate because of the wrong they had done. Indeed in that is a sign for people who know. ([27] An-Naml : 52)