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قِيْلَ لَهَا ادْخُلِى الصَّرْحَۚ فَلَمَّا رَاَتْهُ حَسِبَتْهُ لُجَّةً وَّكَشَفَتْ عَنْ سَاقَيْهَاۗ قَالَ اِنَّهٗ صَرْحٌ مُّمَرَّدٌ مِّنْ قَوَارِيْرَ ەۗ قَالَتْ رَبِّ اِنِّيْ ظَلَمْتُ نَفْسِيْ وَاَسْلَمْتُ مَعَ سُلَيْمٰنَ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ࣖ  ( النمل: ٤٤ )

It was said
قِيلَ
कहा गया
to her
لَهَا
उसे
"Enter
ٱدْخُلِى
दाख़िल हो जाओ
the palace"
ٱلصَّرْحَۖ
महल में
Then when
فَلَمَّا
तो जब
she saw it
رَأَتْهُ
उसने देखा उसे
she thought it
حَسِبَتْهُ
वो समझी उसे
(was) a pool
لُجَّةً
गहरा पानी
and she uncovered
وَكَشَفَتْ
और उसने खोल दीं
[on]
عَن
पिंडलियाँ अपनी
her shins
سَاقَيْهَاۚ
पिंडलियाँ अपनी
He said
قَالَ
उसने कहा
"Indeed it
إِنَّهُۥ
बेशक वो
(is) a palace
صَرْحٌ
महल है
made smooth
مُّمَرَّدٌ
चिकना
of
مِّن
(बनाया गया) शीशों से
glass"
قَوَارِيرَۗ
(बनाया गया) शीशों से
She said
قَالَتْ
वो कहने लगी
"My Lord
رَبِّ
ऐ मेरे रब
indeed I
إِنِّى
बेशक मैं
[I] have wronged
ظَلَمْتُ
ज़ुल्म किया मैं ने
myself
نَفْسِى
अपनी जान पर
and I submit
وَأَسْلَمْتُ
और इस्लाम ले आई मैं
with
مَعَ
साथ
Sulaiman
سُلَيْمَٰنَ
सुलैमान के
to Allah
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
(the) Lord
رَبِّ
जो रब है
(of) the worlds"
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहानों का

Qeela laha odkhulee alssarha falamma raathu hasibathu lujjatan wakashafat 'an saqayha qala innahu sarhun mumarradun min qawareera qalat rabbi innee thalamtu nafsee waaslamtu ma'a sulaymana lillahi rabbi al'alameena (an-Naml 27:44)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उससे कहा गया कि 'महल में प्रवेश करो।' तो जब उसने उसे देखा तो उसने उसको गहरा पानी समझा और उसने अपनी दोनों पिंडलियाँ खोल दी। उसने कहा, 'यह तो शीशे से निर्मित महल है।' बोली, 'ऐ मेरे रब! निश्चय ही मैंने अपने आपपर ज़ुल्म किया। अब मैंने सुलैमान के साथ अपने आपको अल्लाह के समर्पित कर दिया, जो सारे संसार का रब है।'

English Sahih:

She was told, "Enter the palace." But when she saw it, she thought it was a body of water and uncovered her shins [to wade through]. He said, "Indeed, it is a palace [whose floor is] made smooth with glass." She said, "My Lord, indeed I have wronged myself, and I submit with Solomon to Allah, Lord of the worlds." ([27] An-Naml : 44)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

फिर उससे कहा गया कि आप अब महल मे चलिए तो जब उसने महल (में शीशे के फर्श) को देखा तो उसको गहरा पानी समझी (और गुज़रने के लिए इस तरह अपने पाएचे उठा लिए कि) अपनी दोनों पिन्डलियाँ खोल दी सुलेमान ने कहा (तुम डरो नहीं) ये (पानी नहीं है) महल है जो शीशे से मढ़ा हुआ है (उस वक्त तम्बीह हुई और) अर्ज़ की परवरदिगार मैने (आफताब को पूजा कर) यक़ीनन अपने ऊपर ज़ुल्म किया