فَلَمَّا جَاۤءَ سُلَيْمٰنَ قَالَ اَتُمِدُّوْنَنِ بِمَالٍ فَمَآ اٰتٰىنِ َۧ اللّٰهُ خَيْرٌ مِّمَّآ اٰتٰىكُمْۚ بَلْ اَنْتُمْ بِهَدِيَّتِكُمْ تَفْرَحُوْنَ ( النمل: ٣٦ )
So when
فَلَمَّا
तो जब
came
جَآءَ
वो आया
(to) Sulaiman
سُلَيْمَٰنَ
सुलैमान के पास
he said
قَالَ
उसने कहा
"Will you provide me
أَتُمِدُّونَنِ
क्या तुम मदद देते हो मुझे
with wealth?
بِمَالٍ
साथ माल के
But what
فَمَآ
तो जो
Allah has given me
ءَاتَىٰنِۦَ
अता किया मुझे
Allah has given me
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
(is) better
خَيْرٌ
बेहतर है
than what
مِّمَّآ
उससे जो
He has given you
ءَاتَىٰكُم
उसने अता किया तुम्हें
Nay
بَلْ
बल्कि
you
أَنتُم
तुम ही
in your gift
بِهَدِيَّتِكُمْ
साथ अपने हदिये के
rejoice
تَفْرَحُونَ
तुम ख़ुश होते हो
Falamma jaa sulaymana qala atumiddoonani bimalin fama ataniya Allahu khayrun mimma atakum bal antum bihadiyyatikum tafrahoona (an-Naml 27:36)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर जब वह सुलैमान के पास पहुँचा तो उसने (सुलैमान ने) कहा, 'क्या तुम माल से मेरी सहायता करोगे, तो जो कुछ अल्लाह ने मुझे दिया है वह उससे कहीं उत्तम है, जो उसने तुम्हें दिया है? बल्कि तुम्ही लोग हो जो अपने उपहार से प्रसन्न होते हो!
English Sahih:
So when they came to Solomon, he said, "Do you provide me with wealth? But what Allah has given me is better than what He has given you. Rather, it is you who rejoice in your gift. ([27] An-Naml : 36)