فَتَبَسَّمَ ضَاحِكًا مِّنْ قَوْلِهَا وَقَالَ رَبِّ اَوْزِعْنِيْٓ اَنْ اَشْكُرَ نِعْمَتَكَ الَّتِيْٓ اَنْعَمْتَ عَلَيَّ وَعَلٰى وَالِدَيَّ وَاَنْ اَعْمَلَ صَالِحًا تَرْضٰىهُ وَاَدْخِلْنِيْ بِرَحْمَتِكَ فِيْ عِبَادِكَ الصّٰلِحِيْنَ ( النمل: ١٩ )
Fatabassama dahikan min qawliha waqala rabbi awzi'nee an ashkura ni'mataka allatee an'amta 'alayya wa'ala walidayya waan a'mala salihan tardahu waadkhilnee birahmatika fee 'ibadika alssaliheena (an-Naml 27:19)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तो वह उसकी बात पर प्रसन्न होकर मुस्कराया और कहा, 'मेरे रब! मुझे संभाले रख कि मैं तेरी उस कृपा पर कृतज्ञता दिखाता रहूँ जो तूने मुझपर और मेरे माँ-बाप पर की है। और यह कि अच्छा कर्म करूँ जो तुझे पसन्द आए और अपनी दयालुता से मुझे अपने अच्छे बन्दों में दाखिल कर।'
English Sahih:
So [Solomon] smiled, amused at her speech, and said, "My Lord, enable me to be grateful for Your favor which You have bestowed upon me and upon my parents and to do righteousness of which You approve. And admit me by Your mercy into [the ranks of] Your righteous servants." ([27] An-Naml : 19)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
तो सुलेमान इस बात से मुस्कुरा के हँस पड़ें और अर्ज क़ी परवरदिगार मुझे तौफीक़ अता फरमा कि जैसी जैसी नेअमतें तूने मुझ पर और मेरे वालदैन पर नाज़िल फरमाई हैं मै (उनका) शुक्रिया अदा करुँ और मैं ऐसे नेक काम करुँ जिसे तू पसन्द फरमाए और तू अपनी ख़ास मेहरबानी से मुझे (अपने) नेकोकार बन्दों में दाखिल कर