حَتّٰىٓ اِذَآ اَتَوْا عَلٰى وَادِ النَّمْلِۙ قَالَتْ نَمْلَةٌ يّٰٓاَيُّهَا النَّمْلُ ادْخُلُوْا مَسٰكِنَكُمْۚ لَا يَحْطِمَنَّكُمْ سُلَيْمٰنُ وَجُنُوْدُهٗۙ وَهُمْ لَا يَشْعُرُوْنَ ( النمل: ١٨ )
Hatta itha ataw 'ala wadi alnnamli qalat namlatun ya ayyuha alnnamlu odkhuloo masakinakum la yahtimannakum sulaymanu wajunooduhu wahum la yash'uroona (an-Naml 27:18)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यहाँ तक कि जब वे चींटियों की घाटी में पहुँचे तो एक चींटी ने कहा, 'ऐ चींटियों! अपने घरों में प्रवेश कर जाओ। कहीं सुलैमान और उसकी सेनाएँ तुम्हें कुचल न डालें और उन्हें एहसास भी न हो।'
English Sahih:
Until, when they came upon the valley of the ants, an ant said, "O ants, enter your dwellings that you not be crushed by Solomon and his soldiers while they perceive not." ([27] An-Naml : 18)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
तो वह सबके सब (मसल मसल) खडे क़िए जाते थे (ग़रज़ इस तरह लशकर चलता) यहाँ तक कि जब (एक दिन) चीटीयों के मैदान में आ निकले तो एक चीटीं बोली ऐ चीटीयों अपने अपने बिल में घुस जाओ- ऐसा न हो कि सुलेमान और उनका लश्कर तुम्हे रौन्द डाले और उन्हें उसकी ख़बर भी न हो