اَوَلَمْ يَرَوْا اِلَى الْاَرْضِ كَمْ اَنْۢبَتْنَا فِيْهَا مِنْ كُلِّ زَوْجٍ كَرِيْمٍ ( الشعراء: ٧ )
Do not
أَوَلَمْ
क्या भला नहीं
they see
يَرَوْا۟
उन्होंने देखा
at
إِلَى
तरफ़ ज़मीन के
the earth -
ٱلْأَرْضِ
तरफ़ ज़मीन के
how many
كَمْ
कितने ही
We produced
أَنۢبَتْنَا
उगाए हमने
in it
فِيهَا
उसमें
of
مِن
हर क़िस्म के
every
كُلِّ
हर क़िस्म के
kind
زَوْجٍ
जोड़े
noble
كَرِيمٍ
उमदा
Awalam yaraw ila alardi kam anbatna feeha min kulli zawjin kareemin (aš-Šuʿarāʾ 26:7)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
क्या उन्होंने धरती को नहीं देखा कि हमने उसमें कितने ही प्रकार की उमदा चीज़ें पैदा की है?
English Sahih:
Did they not look at the earth – how much We have produced therein from every noble kind? ([26] Ash-Shu'ara : 7)