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اِنْ نَّشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِمْ مِّنَ السَّمَاۤءِ اٰيَةً فَظَلَّتْ اَعْنَاقُهُمْ لَهَا خَاضِعِيْنَ   ( الشعراء: ٤ )

If
إِن
अगर
We will
نَّشَأْ
हम चाहें
We can send down
نُنَزِّلْ
हम उतार दें
to them
عَلَيْهِم
उन पर
from
مِّنَ
आसमान से
the sky
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
a Sign
ءَايَةً
कोई निशानी
so would bend
فَظَلَّتْ
तो हो जाऐं
their necks
أَعْنَٰقُهُمْ
गर्दनें उनकी
to it
لَهَا
उसके लिए
(in) humility
خَٰضِعِينَ
झुकने वाली

In nasha nunazzil 'alayhim mina alssamai ayatan fathallat a'naquhum laha khadi'eena (aš-Šuʿarāʾ 26:4)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यदि हम चाहें तो उनपर आकाश से एक निशानी उतार दें। फिर उनकी गर्दनें उसके आगे झुकी रह जाएँ

English Sahih:

If We willed, We could send down to them from the sky a sign for which their necks would remain humbled. ([26] Ash-Shu'ara : 4)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

अगर हम चाहें तो उन लोगों पर आसमान से कोई ऐसा मौजिज़ा नाज़िल करें कि उन लोगों की गर्दनें उसके सामने झुक जाएँ