فَاَخَذَهُمُ الْعَذَابُۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً ۗوَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ( الشعراء: ١٥٨ )
So seized them
فَأَخَذَهُمُ
फिर पकड़ लिया उन्हें
the punishment
ٱلْعَذَابُۗ
अज़ाब ने
Indeed
إِنَّ
यक़ीनन
in
فِى
इसमें
that
ذَٰلِكَ
इसमें
surely is a sign
لَءَايَةًۖ
अलबत्ता एक निशानी है
but not
وَمَا
और ना
are
كَانَ
थे
most of them
أَكْثَرُهُم
अक्सर उनके
believers
مُّؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले
Faakhathahumu al'athabu inna fee thalika laayatan wama kana aktharuhum mumineena (aš-Šuʿarāʾ 26:158)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अन्ततः यातना ने उन्हें आ दबोचा। निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
English Sahih:
And the punishment seized them. Indeed in that is a sign, but most of them were not to be believers. ([26] Ash-Shu'ara : 158)