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فَكَذَّبُوْهُ فَاَهْلَكْنٰهُمْۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً ۗوَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِيْنَ   ( الشعراء: ١٣٩ )

So they denied him
فَكَذَّبُوهُ
तो उन्होंने झुठलाया उसे
then We destroyed them
فَأَهْلَكْنَٰهُمْۗ
फिर हलाक कर दिया हमने उन्हें
Indeed
إِنَّ
यक़ीनन
in
فِى
इस में
that
ذَٰلِكَ
इस में
surely is a sign
لَءَايَةًۖ
अलबत्ता एक निशानी है
but not
وَمَا
और ना
are
كَانَ
थे
most of them
أَكْثَرُهُم
अक्सर उनके
believers
مُّؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले

Fakaththaboohu faahlaknahum inna fee thalika laayatan wama kana aktharuhum mumineena (aš-Šuʿarāʾ 26:139)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अन्ततः उन्होंने उन्हें झुठला दिया जो हमने उनको विनष्ट कर दिया। बेशक इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं

English Sahih:

And they denied him, so We destroyed them. Indeed in that is a sign, but most of them were not to be believers. ([26] Ash-Shu'ara : 139)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ग़रज़ उन लोगों ने हूद को झुठला दिया तो हमने भी उनको हलाक कर डाला बेशक इस वाक़िये में यक़ीनी एक बड़ी इबरत है आर उनमें से बहुतेरे ईमान लाने वाले भी न थे