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فَافْتَحْ بَيْنِيْ وَبَيْنَهُمْ فَتْحًا وَّنَجِّنِيْ وَمَنْ مَّعِيَ مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ   ( الشعراء: ١١٨ )

So judge
فَٱفْتَحْ
पस फ़ैसला कर दे
between me
بَيْنِى
दर्मियान मेरे
and between them
وَبَيْنَهُمْ
और दर्मियान उनके
(with decisive) judgment
فَتْحًا
(हतमी)फ़ैसला
and save me
وَنَجِّنِى
और निजात दे मुझे
and who
وَمَن
और उनको जो
(are) with me
مَّعِىَ
मेरे साथ हैं
of
مِنَ
ईमान लाने वालों में से
the believers"
ٱلْمُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वालों में से

Faiftah baynee wabaynahum fathan wanajjinee waman ma'iya mina almumineena (aš-Šuʿarāʾ 26:118)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अब मेरे और उनके बीच दो टूक फ़ैसला कर दे और मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ है, उन्हें बचा ले!'

English Sahih:

Then judge between me and them with decisive judgement and save me and those with me of the believers." ([26] Ash-Shu'ara : 118)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो अब तू मेरे और इन लोगों के दरमियान एक क़तई फैसला कर दे और मुझे और जो मोमिनीन मेरे साथ हें उनको नजात दे