اُولٰۤىِٕكَ يُجْزَوْنَ الْغُرْفَةَ بِمَا صَبَرُوْا وَيُلَقَّوْنَ فِيْهَا تَحِيَّةً وَّسَلٰمًا ۙ ( الفرقان: ٧٥ )
Those
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
will be awarded
يُجْزَوْنَ
जो बदले में दिए जाऐंगे
the Chamber
ٱلْغُرْفَةَ
बालाख़ाने
because
بِمَا
बवजह उसके जो
they were patient
صَبَرُوا۟
उन्होंने सब्र किया
and they will be met
وَيُلَقَّوْنَ
और वो इस्तक़बाल किए जाऐंगे
therein
فِيهَا
उसमें
(with) greetings
تَحِيَّةً
दुआए ख़ैर
and peace
وَسَلَٰمًا
और सलाम से
Olaika yujzawna alghurfata bima sabaroo wayulaqqawna feeha tahiyyatan wasalaman (al-Furq̈ān 25:75)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यही वे लोग है जिन्हें, इसके बदले में कि वे जमे रहे, उच्च भवन प्राप्त होगा, तथा ज़िन्दाबाद और सलाम से उनका वहाँ स्वागत होगा
English Sahih:
Those will be awarded the Chamber for what they patiently endured, and they will be received therein with greetings and [words of] peace, ([25] Al-Furqan : 75)