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وَكَذٰلِكَ جَعَلْنَا لِكُلِّ نَبِيٍّ عَدُوًّا مِّنَ الْمُجْرِمِيْنَۗ وَكَفٰى بِرَبِّكَ هَادِيًا وَّنَصِيْرًا   ( الفرقان: ٣١ )

And thus
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
We have made
جَعَلْنَا
बनाया हमने
for every
لِكُلِّ
हर नबी के लिए
Prophet
نَبِىٍّ
हर नबी के लिए
an enemy
عَدُوًّا
दुश्मन
among
مِّنَ
मुजरिमों में से
the criminals
ٱلْمُجْرِمِينَۗ
मुजरिमों में से
But sufficient is
وَكَفَىٰ
और काफ़ी है
your Lord
بِرَبِّكَ
आपका रब
(as) a Guide
هَادِيًا
हिदायत देने वाला
and a Helper
وَنَصِيرًا
और मदद करने वाला

Wakathalika ja'alna likulli nabiyyin 'aduwwan mina almujrimeena wakafa birabbika hadiyan wanaseeran (al-Furq̈ān 25:31)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और इसी तरह हमने अपराधियों में से प्रत्यॆक नबी के लिये शत्रु बनाया। मार्गदर्शन और सहायता कॆ लिए तॊ तुम्हारा रब ही काफ़ी है।

English Sahih:

And thus have We made for every prophet an enemy from among the criminals. But sufficient is your Lord as a guide and a helper. ([25] Al-Furqan : 31)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और हमने (गोया ख़ुद) गुनाहगारों में से हर नबी के दुश्मन बना दिए हैं और तुम्हारा परवरदिगार हिदायत और मददगारी के लिए काफी है