जिन्हें हमसे मिलने की आशंका नहीं, वे कहते है, 'क्यों न फ़रिश्ते हमपर उतरे या फिर हम अपने रब को देखते?' उन्होंने अपने जी में बड़ा घमंज किया और बड़ी सरकशी पर उतर आए
English Sahih:
And those who do not expect the meeting with Us say, "Why were not angels sent down to us, or [why] do we [not] see our Lord?" They have certainly become arrogant within themselves and [become] insolent with great insolence. ([25] Al-Furqan : 21)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जो लोग (क़यामत में) हमारी हुज़ूरी की उम्मीद नहीं रखते कहा करते हैं कि आख़िर फरिश्ते हमारे पास क्यों नहीं नाज़िल किए गए या हम अपने परवरदिगार को (क्यों नहीं) देखते उन लोगों ने अपने जी में अपने को (बहुत) बड़ा समझ लिया है और बड़ी सरकशी की
2 Azizul-Haqq Al-Umary
तथा उन्होंने कहा जो हमसे मिलने की आशा नहीं रखतेः हमपर फ़रिश्ते क्यों नहीं उतारे गये या हम अपने पालनहार को देख लेते? उन्होंने अपने में बड़ा अभिमान कर लिया है तथा बड़ी अवज्ञा[1] की है।