فَقَدْ كَذَّبُوْكُمْ بِمَا تَقُوْلُوْنَۙ فَمَا تَسْتَطِيْعُوْنَ صَرْفًا وَّلَا نَصْرًاۚ وَمَنْ يَّظْلِمْ مِّنْكُمْ نُذِقْهُ عَذَابًا كَبِيْرًا ( الفرقان: ١٩ )
Faqad kaththabookum bima taqooloona fama tastatee'oona sarfan wala nasran waman yathlim minkum nuthiqhu 'athaban kabeeran (al-Furq̈ān 25:19)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अतः इस प्रकार वे तुम्हें उस बात में, जो तुम कहते हो झूठा ठहराए हुए है। अब न तो तुम यातना को फेर सकते हो और न कोई सहायता ही पा सकते हो। जो कोई तुममें से ज़ुल्म करे उसे हम बड़ी यातना का मज़ा चखाएँगे
English Sahih:
So they will deny you, [disbelievers], in what you say, and you cannot avert [punishment] or [find] help. And whoever commits injustice among you – We will make him taste a great punishment. ([25] Al-Furqan : 19)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
तब (काफ़िरों से कहा जाएगा कि) तुम जो कुछ कह रहे हो उसमें तो तुम्हारे माबूदों ने तुम्हें झूठला दिया तो अब तुम न (हमारे अज़ाब के) टाल देने की सकत रखते हो न किसी से मदद ले सकते हो और (याद रखो) तुममें से जो ज़ुल्म करेगा हम उसको बड़े (सख्त) अज़ाब का (मज़ा) चखाएगें