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اَفِيْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ اَمِ ارْتَابُوْٓا اَمْ يَخَافُوْنَ اَنْ يَّحِيْفَ اللّٰهُ عَلَيْهِمْ وَرَسُوْلُهٗ ۗبَلْ اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ ࣖ  ( النور: ٥٠ )

Is (there) in
أَفِى
क्या उनके दिलों में
their hearts
قُلُوبِهِم
क्या उनके दिलों में
a disease
مَّرَضٌ
कोई बीमारी है
or
أَمِ
या
do they doubt
ٱرْتَابُوٓا۟
वो शक में पड़ गए हैं
or
أَمْ
या
they fear
يَخَافُونَ
वो डरते हैं
that
أَن
कि
Allah will be unjust
يَحِيفَ
ज़ुल्म करेगा
Allah will be unjust
ٱللَّهُ
अल्लाह
to them
عَلَيْهِمْ
उन पर
and His Messenger?
وَرَسُولُهُۥۚ
और उसका रसूल
Nay
بَلْ
बल्कि
those
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
[they]
هُمُ
वो
(are) the wrongdoers
ٱلظَّٰلِمُونَ
जो ज़ालिम हैं

Afee quloobihim maradun ami irtaboo am yakhafoona an yaheefa Allahu 'alayhim warasooluhu bal olaika humu alththalimoona (an-Nūr 24:50)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

क्या उनके दिलों में रोग है या वे सन्देह में पड़े हुए है या उनको यह डर है कि अल्लाह औऱ उसका रसूल उनके साथ अन्याय करेंगे? नहीं, बल्कि बात यह है कि वही लोग अत्याचारी हैं

English Sahih:

Is there disease in their hearts? Or have they doubted? Or do they fear that Allah will be unjust to them, or His Messenger? Rather, it is they who are the wrongdoers [i.e., the unjust]. ([24] An-Nur : 50)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

क्या उन के दिल में (कुफ्र का) मर्ज़ (बाक़ी) है या शक में पड़े हैं या इस बात से डरते हैं कि (मुबादा) ख़ुदा और उसका रसूल उन पर ज़ुल्म कर बैठेगा- (ये सब कुछ नहीं) बल्कि यही लोग ज़ालिम हैं