اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ يُسَبِّحُ لَهٗ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَالطَّيْرُ صٰۤفّٰتٍۗ كُلٌّ قَدْ عَلِمَ صَلَاتَهٗ وَتَسْبِيْحَهٗۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌۢ بِمَا يَفْعَلُوْنَ ( النور: ٤١ )
Alam tara anna Allaha yusabbihu lahu man fee alssamawati waalardi waalttayru saffatin kullun qad 'alima salatahu watasbeehahu waAllahu 'aleemun bima yaf'aloona (an-Nūr 24:41)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
क्या तुमने नहीं देखा कि जो कोई भी आकाशों और धरती में है, अल्लाह की तसबीह (गुणगान) कर रहा है और पंख पसारे हुए पक्षी भी? हर एक अपनी नमाज़ और तसबीह से परिचित है। अल्लाह भली-भाँति जाना है जो कुछ वे करते है
English Sahih:
Do you not see that Allah is exalted by whomever is within the heavens and the earth and [by] the birds with wings spread [in flight]? Each [of them] has known his [means of] prayer and exalting [Him], and Allah is Knowing of what they do. ([24] An-Nur : 41)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ शख्स) क्या तूने इतना भी नहीं देखा कि जितनी मख़लूक़ात सारे आसमान और ज़मीन में हैं और परिन्दें पर फैलाए (ग़रज़ सब) उसी को तस्बीह किया करते हैं सब के सब अपनी नमाज़ और अपनी तस्बीह का तरीक़ा खूब जानते हैं और जो कुछ ये किया करते हैं ख़ुदा उससे खूब वाक़िफ है