اَوْ كَظُلُمٰتٍ فِيْ بَحْرٍ لُّجِّيٍّ يَّغْشٰىهُ مَوْجٌ مِّنْ فَوْقِهٖ مَوْجٌ مِّنْ فَوْقِهٖ سَحَابٌۗ ظُلُمٰتٌۢ بَعْضُهَا فَوْقَ بَعْضٍۗ اِذَآ اَخْرَجَ يَدَهٗ لَمْ يَكَدْ يَرٰىهَاۗ وَمَنْ لَّمْ يَجْعَلِ اللّٰهُ لَهٗ نُوْرًا فَمَا لَهٗ مِنْ نُّوْرٍ ࣖ ( النور: ٤٠ )
Aw kathulumatin fee bahrin lujjiyyin yaghshahu mawjun min fawqihi mawjun min fawqihi sahabun thulumatun ba'duha fawqa ba'din itha akhraja yadahu lam yakad yaraha waman lam yaj'ali Allahu lahu nooran fama lahu min noorin (an-Nūr 24:40)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
या फिर जैसे एक गहरे समुद्र में अँधेरे, लहर के ऊपर लहर छा रही हैं; उसके ऊपर बादल है, अँधेरे है एक पर एक। जब वह अपना हाथ निकाले तो उसे वह सुझाई देता प्रतीत न हो। जिसे अल्लाह ही प्रकाश न दे फिर उसके लिए कोई प्रकाश नहीं
English Sahih:
Or [they are] like darknesses within an unfathomable sea which is covered by waves, upon which are waves, over which are clouds – darknesses, some of them upon others. When one puts out his hand [therein], he can hardly see it. And he to whom Allah has not granted light – for him there is no light. ([24] An-Nur : 40)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(या काफिरों के आमाल की मिसाल) उस बड़े गहरे दरिया की तारिकियों की सी है- जैसे एक लहर उसके ऊपर दूसरी लहर उसके ऊपर अब्र (तह ब तह) ढॉके हुए हो (ग़रज़) तारिकियाँ है कि एक से ऊपर एक (उमड़ी) चली आती हैं (इसी तरह से) कि अगर कोइ शख्स अपना हाथ निकाले तो (शिद्दत तारीकी से) उसे देख न सके और जिसे खुद ख़ुदा ही ने (हिदायत की) रौशनी न दी हो तो (समझ लो कि) उसके लिए कहीं कोई रौशनी नहीं है