لَيْسَ عَلَيْكُمْ جُنَاحٌ اَنْ تَدْخُلُوْا بُيُوْتًا غَيْرَ مَسْكُوْنَةٍ فِيْهَا مَتَاعٌ لَّكُمْۗ وَاللّٰهُ يَعْلَمُ مَا تُبْدُوْنَ وَمَا تَكْتُمُوْنَ ( النور: ٢٩ )
Not
لَّيْسَ
नहीं है
upon you
عَلَيْكُمْ
तुम पर
(is) any blame
جُنَاحٌ
कोई गुनाह
that
أَن
कि
you enter
تَدْخُلُوا۟
तुम दाख़िल हो
houses
بُيُوتًا
घरों में
not
غَيْرَ
ग़ैर
inhabited
مَسْكُونَةٍ
रिहाइशी
in it
فِيهَا
जिन में
(is) a provision
مَتَٰعٌ
फ़ायदा है
for you
لَّكُمْۚ
तुम्हारे लिए
And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
knows
يَعْلَمُ
वो जानता है
what
مَا
जो कुछ
you reveal
تُبْدُونَ
तुम ज़ाहिर करते हो
and what
وَمَا
और जो कुछ
you conceal
تَكْتُمُونَ
तुम छुपाते हो
Laysa 'alaykum junahun an tadkhuloo buyootan ghayra maskoonatin feeha mata'un lakum waAllahu ya'lamu ma tubdoona wama taktumoona (an-Nūr 24:29)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
इसमें तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं है कि तुम ऐसे घरों में प्रवेश करो जिनमें कोई न रहता हो, जिनमें तुम्हारे फ़ायदे की कोई चीज़ हो। और अल्लाह जानता है जो कुछ तुम प्रकट करते हो और जो कुछ छिपाते हो
English Sahih:
There is no blame upon you for entering houses not inhabited in which there is convenience for you. And Allah knows what you reveal and what you conceal. ([24] An-Nur : 29)