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اِنَّ الَّذِيْنَ يُحِبُّوْنَ اَنْ تَشِيْعَ الْفَاحِشَةُ فِى الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌۙ فِى الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةِۗ وَاللّٰهُ يَعْلَمُ وَاَنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ  ( النور: ١٩ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
like
يُحِبُّونَ
पसंद करते हैं
that
أَن
कि
(should) spread
تَشِيعَ
फैले
the immorality
ٱلْفَٰحِشَةُ
बेहयाई
among
فِى
उन लोगों में जो
those who
ٱلَّذِينَ
उन लोगों में जो
believe
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
for them
لَهُمْ
उनके लिए
(is) a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब है
painful
أَلِيمٌ
दर्दनाक
in
فِى
दुनिया में
the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया में
and the Hereafter
وَٱلْءَاخِرَةِۚ
और आख़िरत में
And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
knows
يَعْلَمُ
जानता है
while you
وَأَنتُمْ
और तुम
(do) not
لَا
नहीं तुम जानते
know
تَعْلَمُونَ
नहीं तुम जानते

Inna allatheena yuhibboona an tashee'a alfahishatu fee allatheena amanoo lahum 'athabun aleemun fee alddunya waalakhirati waAllahu ya'lamu waantum la ta'lamoona (an-Nūr 24:19)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जो लोग चाहते है कि उन लोगों में जो ईमान लाए है, अश्लीहलता फैले, उनके लिए दुनिया और आख़िरत (लोक-परलोक) में दुखद यातना है। और अल्लाह बड़ा करुणामय, अत्यन्त दयावान है

English Sahih:

Indeed, those who like that immorality should be spread [or publicized] among those who have believed will have a painful punishment in this world and the Hereafter. And Allah knows and you do not know. ([24] An-Nur : 19)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जो लोग ये चाहते हैं कि ईमानदारों में बदकारी का चर्चा फैल जाए बेशक उनके लिए दुनिया और आख़िरत में दर्दनाक अज़ाब है और ख़ुदा (असल हाल को) ख़ूब जानता है और तुम लोग नहीं जानते हो