सोचो, जब तुम एक-दूसरे से उस (झूठ) को अपनी ज़बानों पर लेते जा रहे थे और तुम अपने मुँह से वह कुछ कहे जो रहे थे, जिसके विषय में तुम्हें कोई ज्ञान न था और तुम उसे एक साधारण बात समझ रहे थे; हालाँकि अल्लाह के निकट वह एक भारी बात थी
English Sahih:
When you received it with your tongues and said with your mouths that of which you had no knowledge and thought it was insignificant while it was, in the sight of Allah, tremendous. ([24] An-Nur : 15)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
कि तुम अपनी ज़बानों से इसको एक दूसरे से बयान करने लगे और अपने मुँह से ऐसी बात कहते थे जिसका तुम्हें इल्म व यक़ीन न था (और लुत्फ ये है कि) तुमने इसको एक आसान बात समझी थी हॉलाकि वह ख़ुदा के नज़दीक बड़ी सख्त बात थी
2 Azizul-Haqq Al-Umary
जबकि (बिना सोचे) तुम अपनी ज़बानों पर इसे लाने लगे और अपने मुखों से वह बात कहने लगे, जिसका तुम्हें कोई ज्ञान न था तथा तुम इसे सरल समझ रहे थे, जबकि अल्लाह के के समीप ये बहुत बड़ी बात थी।