وَهُوَ الَّذِيْٓ اَنْشَاَ لَكُمُ السَّمْعَ وَالْاَبْصَارَ وَالْاَفْـِٕدَةَۗ قَلِيْلًا مَّا تَشْكُرُوْنَ ( المؤمنون: ٧٨ )
And He
وَهُوَ
और वो ही है
(is) the One Who
ٱلَّذِىٓ
जिसने
produced
أَنشَأَ
पैदा किए
for you
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
the hearing
ٱلسَّمْعَ
कान
and the sight
وَٱلْأَبْصَٰرَ
और आँखें
and the feeling;
وَٱلْأَفْـِٔدَةَۚ
और दिल
little
قَلِيلًا
कितना कम
(is) what
مَّا
कितना कम
you give thanks
تَشْكُرُونَ
तुम शुक्र अदा करते हो
Wahuwa allathee anshaa lakumu alssam'a waalabsara waalafidata qaleelan ma tashkuroona (al-Muʾminūn 23:78)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और वही है जिसने तुम्हारे लिए कान और आँखे और दिल बनाए। तुम कृतज्ञता थोड़े ही दिखाते हो!
English Sahih:
And it is He who produced for you hearing and vision and hearts [i.e., intellect]; little are you grateful. ([23] Al-Mu'minun : 78)