Skip to main content

اَيَحْسَبُوْنَ اَنَّمَا نُمِدُّهُمْ بِهٖ مِنْ مَّالٍ وَّبَنِيْنَ ۙ  ( المؤمنون: ٥٥ )

Do they think
أَيَحْسَبُونَ
क्या वो समझते हैं
that what
أَنَّمَا
कि बेशक
We extend to them
نُمِدُّهُم
जो हम मदद दे रहे हैं उन्हें
[with it]
بِهِۦ
साथ किसी भी(चीज़) के
of
مِن
माल से
wealth
مَّالٍ
माल से
and children
وَبَنِينَ
और बेटों से

Ayahsaboona annama numidduhum bihi min malin wabaneena (al-Muʾminūn 23:55)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

क्या वे समझते है कि हम जो उनकी धन और सन्तान से सहायता किए जा रहे है,

English Sahih:

Do they think that what We extend to them of wealth and children ([23] Al-Mu'minun : 55)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

क्या ये लोग ये ख्याल करते है कि हम जो उन्हें माल और औलाद में तरक्क़ी दे रहे है तो हम उनके साथ भलाईयाँ करने में जल्दी कर रहे है