Skip to main content

فَتَقَطَّعُوْٓا اَمْرَهُمْ بَيْنَهُمْ زُبُرًاۗ كُلُّ حِزْبٍۢ بِمَا لَدَيْهِمْ فَرِحُوْنَ   ( المؤمنون: ٥٣ )

But they cut off
فَتَقَطَّعُوٓا۟
तो उन्होंने जुदा-जुदा कर लिया
their affair (of unity)
أَمْرَهُم
मामला अपना
between them
بَيْنَهُمْ
आपस में
(into) sects
زُبُرًاۖ
टुकड़े-टुकड़े करके
each
كُلُّ
हर फ़रीक़/ गिरोह( के लोग)
faction
حِزْبٍۭ
हर फ़रीक़/ गिरोह( के लोग)
in what
بِمَا
उस पर जो
they have
لَدَيْهِمْ
उनके पास है
rejoicing
فَرِحُونَ
ख़ुश हैं

Fataqatta'oo amrahum baynahum zuburan kullu hizbin bima ladayhim farihoona (al-Muʾminūn 23:53)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

किन्तु उन्होंने स्वयं अपने मामले (धर्म) को परस्पर टुकड़े-टुकड़े कर डाला। हर गिरोह उसी पर खुश है, जो कुछ उसके पास है

English Sahih:

But they [i.e., the people] divided their religion among them into portions [i.e., sects] – each faction, in what it has, rejoicing. ([23] Al-Mu'minun : 53)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो बस मुझी से डरते रहो फिर लोगों ने अपने काम (में एख़तिलाफ करके उस) को टुकड़े टुकड़े कर डाला हर गिरो जो कुछ उसके पास है उसी में निहाल निहाल है