وَقَالَ الْمَلَاُ مِنْ قَوْمِهِ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِلِقَاۤءِ الْاٰخِرَةِ وَاَتْرَفْنٰهُمْ فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَاۙ مَا هٰذَآ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُكُمْۙ يَأْكُلُ مِمَّا تَأْكُلُوْنَ مِنْهُ وَيَشْرَبُ مِمَّا تَشْرَبُوْنَ ( المؤمنون: ٣٣ )
Waqala almalao min qawmihi allatheena kafaroo wakaththaboo biliqai alakhirati waatrafnahum fee alhayati alddunya ma hatha illa basharun mithlukum yakulu mimma takuloona minhu wayashrabu mimma tashraboona (al-Muʾminūn 23:33)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उसकी क़ौम के सरदार, जिन्होंने इनकार किया और आख़िरत के मिलन को झूठलाया और जिन्हें हमने सांसारिक जीवन में सुख प्रदान किया था, कहने लगे, 'यह तो बस तुम्हीं जैसा एक मनुष्य है। जो कुछ तुम खाते हो, वही यह भी खाता है और जो कुछ तुम पीते हो, वही यह भी पीता है
English Sahih:
And the eminent among his people who disbelieved and denied the meeting of the Hereafter while We had given them luxury in the worldly life said, "This is not but a man like yourselves. He eats of that from which you eat and drinks of what you drink. ([23] Al-Mu'minun : 33)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और उनकी क़ौम के चन्द सरदारों ने जो काफिर थे और (रोज़) आख़िरत की हाज़िरी को भी झुठलाते थे और दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी में हमने उन्हें शहवत भी दे रखी थी आपस में कहने लगे (अरे) ये तो बस तुम्हारा ही सा आदमी है जो चीज़े तुम खाते वही ये भी खाता है और जो चीज़े तुम पीते हो उन्हीं में से ये भी पीता है