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فَاَرْسَلْنَا فِيْهِمْ رَسُوْلًا مِّنْهُمْ اَنِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَيْرُهٗۗ اَفَلَا تَتَّقُوْنَ ࣖ   ( المؤمنون: ٣٢ )

And We sent
فَأَرْسَلْنَا
तो भेजा हमने
among them
فِيهِمْ
उन में
a Messenger
رَسُولًا
एक रसूल
from themselves
مِّنْهُمْ
उन्हीं में से
[that]
أَنِ
कि
"Worship
ٱعْبُدُوا۟
इबादत करो
Allah;
ٱللَّهَ
अल्लाह की
not
مَا
नहीं
for you
لَكُم
तुम्हारे लिए
(is) any
مِّنْ
कोई इलाह( बरहक़)
god
إِلَٰهٍ
कोई इलाह( बरहक़)
other than Him
غَيْرُهُۥٓۖ
उसके सिवा
Then will not
أَفَلَا
क्या फिर नहीं
you fear?"
تَتَّقُونَ
तुम डरते

Faarsalna feehim rasoolan minhum ani o'budoo Allaha ma lakum min ilahin ghayruhu afala tattaqoona (al-Muʾminūn 23:32)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और उनमें हमने स्वयं उन्हीं में से एक रसूल भेजा कि 'अल्लाह की बन्दगी करो। उसके सिवा तुम्हारा कोई इष्ट-पूज्य नहीं। तो क्या तुम डर नहीं रखते?'

English Sahih:

And We sent among them a messenger from themselves, [saying], "Worship Allah; you have no deity other than Him; then will you not fear Him?" ([23] Al-Mu'minun : 32)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और हमने उनही में से (एक आदमी सालेह को) रसूल बनाकर उन लोगों में भेजा (और उन्होंने अपनी क़ौम से कहा) कि खुदा की इबादत करो उसके सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं तो क्या तुम (उससे डरते नही हो)