فَاَوْحَيْنَآ اِلَيْهِ اَنِ اصْنَعِ الْفُلْكَ بِاَعْيُنِنَا وَوَحْيِنَا فَاِذَا جَاۤءَ اَمْرُنَا وَفَارَ التَّنُّوْرُۙ فَاسْلُكْ فِيْهَا مِنْ كُلٍّ زَوْجَيْنِ اثْنَيْنِ وَاَهْلَكَ اِلَّا مَنْ سَبَقَ عَلَيْهِ الْقَوْلُ مِنْهُمْۚ وَلَا تُخَاطِبْنِيْ فِى الَّذِيْنَ ظَلَمُوْاۚ اِنَّهُمْ مُّغْرَقُوْنَ ( المؤمنون: ٢٧ )
Faawhayna ilayhi ani isna'i alfulka bia'yunina wawahyina faitha jaa amruna wafara alttannooru faosluk feeha min kullin zawjayni ithnayni waahlaka illa man sabaqa 'alayhi alqawlu minhum wala tukhatibnee fee allatheena thalamoo innahum mughraqoona (al-Muʾminūn 23:27)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तब हमने उसकी ओर प्रकाशना की कि 'हमारी आँखों के सामने और हमारी प्रकाशना के अनुसार नौका बना और फिर जब हमारा आदेश आ जाए और तूफ़ान उमड़ पड़े तो प्रत्येक प्रजाति में से एक-एक जोड़ा उसमें रख ले और अपने लोगों को भी, सिवाय उनके जिनके विरुद्ध पहले फ़ैसला हो चुका है। और अत्याचारियों के विषय में मुझसे बात न करना। वे तो डूबकर रहेंगे
English Sahih:
So We inspired to him, "Construct the ship under Our observation and Our inspiration, and when Our command comes and the oven overflows, put into it [i.e., the ship] from each [creature] two mates and your family, except him for whom the decree [of destruction] has proceeded. And do not address Me concerning those who have wronged; indeed, they are to be drowned. ([23] Al-Mu'minun : 27)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
इस वजह से कि उन लोगों ने मुझे झुठला दिया तो हमने नूह के पास 'वही' भेजी कि तुम हमारे सामने हमारे हुक्म के मुताबिक़ कश्ती बनाना शुरु करो फिर जब कल हमारा अज़ाब आ जाए और तन्नूर (से पानी) उबलने लगे तो तुम उसमें हर किस्म (के जानवरों में) से (नर मादा) दो दो का जोड़ा और अपने लड़के बालों को बिठा लो मगर उन में से जिसकी निस्बत (ग़रक़ होने का) पहले से हमारा हुक्म हो चुका है (उन्हें छोड़ दो) और जिन लोगों ने (हमारे हुकम से) सरकशी की है उनके बारे में मुझसे कुछ कहना (सुनना) नहीं क्योंकि ये लोग यकीनन डूबने वाले है