وَجَاهِدُوْا فِى اللّٰهِ حَقَّ جِهَادِهٖۗ هُوَ اجْتَبٰىكُمْ وَمَا جَعَلَ عَلَيْكُمْ فِى الدِّيْنِ مِنْ حَرَجٍۗ مِلَّةَ اَبِيْكُمْ اِبْرٰهِيْمَۗ هُوَ سَمّٰىكُمُ الْمُسْلِمِيْنَ ەۙ مِنْ قَبْلُ وَفِيْ هٰذَا لِيَكُوْنَ الرَّسُوْلُ شَهِيْدًا عَلَيْكُمْ وَتَكُوْنُوْا شُهَدَاۤءَ عَلَى النَّاسِۖ فَاَقِيْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَ وَاعْتَصِمُوْا بِاللّٰهِ ۗهُوَ مَوْلٰىكُمْۚ فَنِعْمَ الْمَوْلٰى وَنِعْمَ النَّصِيْرُ ࣖ ۔ ( الحج: ٧٨ )
Wajahidoo fee Allahi haqqa jihadihi huwa ijtabakum wama ja'ala 'alaykum fee alddeeni min harajin millata abeekum ibraheema huwa sammakumu almuslimeena min qablu wafee hatha liyakoona alrrasoolu shaheedan 'alaykum watakoonoo shuhadaa 'ala alnnasi faaqeemoo alssalata waatoo alzzakata wai'tasimoo biAllahi huwa mawlakum fani'ma almawla wani'ma alnnaseeru (al-Ḥajj 22:78)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और परस्पर मिलकर जिहाद करो अल्लाह के मार्ग में, जैसा कि जिहाद का हक़ है। उसने तुम्हें चुन लिया है - और धर्म के मामले में तुमपर कोई तंगी और कठिनाई नहीं रखी। तुम्हारे बाप इबराहीम के पंथ को तुम्हारे लिए पसन्द किया। उसने इससे पहले तुम्हारा नाम मुस्लिम (आज्ञाकारी) रखा था और इस ध्येय से - ताकि रसूल तुमपर गवाह हो और तुम लोगों पर गवाह हो। अतः नमाज़ का आयोजन करो और ज़कात दो और अल्लाह को मज़बूती से पकड़े रहो। वही तुम्हारा संरक्षक है। तो क्या ही अच्छा संरक्षक है और क्या ही अच्छा सहायक!
English Sahih:
And strive for Allah with the striving due to Him. He has chosen you and has not placed upon you in the religion any difficulty. [It is] the religion of your father, Abraham. He [i.e., Allah] named you "Muslims" before [in former scriptures] and in this [revelation] that the Messenger may be a witness over you and you may be witnesses over the people. So establish prayer and give Zakah and hold fast to Allah. He is your protector; and excellent is the protector, and excellent is the helper. ([22] Al-Hajj : 78)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ताकि तुम कामयाब हो और जो हक़ जिहाद करने का है खुदा की राह में जिहाद करो उसी नें तुमको बरगुज़ीदा किया और उमूरे दीन में तुम पर किसी तरह की सख्ती नहीं की तुम्हारे बाप इबराहीम ने मजहब को (तुम्हारा मज़हब बना दिया उसी (खुदा) ने तुम्हारा पहले ही से मुसलमान (फरमाबरदार बन्दे) नाम रखा और कुरान में भी (तो जिहाद करो) ताकि रसूल तुम्हारे मुक़ाबले में गवाह बने और तुम पाबन्दी से नामज़ पढ़ा करो और ज़कात देते रहो और खुदा ही (के एहकाम) को मज़बूत पकड़ो वही तुम्हारा सरपरस्त है तो क्या अच्छा सरपरस्त है और क्या अच्छा मददगार है