كُتِبَ عَلَيْهِ اَنَّهٗ مَنْ تَوَلَّاهُ فَاَنَّهٗ يُضِلُّهٗ وَيَهْدِيْهِ اِلٰى عَذَابِ السَّعِيْرِ ( الحج: ٤ )
It has been decreed
كُتِبَ
लिख दिया गया
for him
عَلَيْهِ
उस पर
that he
أَنَّهُۥ
कि बेशक वो
who
مَن
जो कोई
befriends him
تَوَلَّاهُ
दोस्त बनाएगा उसे
then indeed he
فَأَنَّهُۥ
तो बेशक वो
will misguide him
يُضِلُّهُۥ
वो भटका देगा उसे
and will guide him
وَيَهْدِيهِ
और वो रहनुमाई करेगा उसकी
to
إِلَىٰ
तरफ़ अज़ाबे
(the) punishment
عَذَابِ
तरफ़ अज़ाबे
(of) the Blaze
ٱلسَّعِيرِ
दोज़ख़ के
Kutiba 'alayhi annahu man tawallahu faannahu yudilluhu wayahdeehi ila 'athabi alssa'eeri (al-Ḥajj 22:4)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जबकि उसके लिए लिख दिया गया है कि जो उससे मित्रता का सम्बन्ध रखेगा उसे वह पथभ्रष्ट करके रहेगा और उसे दहकती अग्नि की यातना की ओर ले जाएगा
English Sahih:
It has been decreed for him [i.e., every devil] that whoever turns to him – he will misguide him and will lead him to the punishment of the Blaze. ([22] Al-Hajj : 4)